शराब है महान, माने यह इंसान

मानो कई दिनों बाद ईश्वर के दर्शन हो रहे है, इस प्रकार की मनोदशा को लेकर लोग सुबह 4 बजे से ही दारू के ठेके के आगे लाइन लगाये हुए है। लोग कहते है कि खाने को पैसे नही है, ना ही कुछ करने के पैसे है तो फिर भी ये भीड़ कैसी, यहाँ तक की दिल्ली सरकार दारू की कीमत 70 प्रतिशत तक बढ़ा दी फिर भी भीड़ कमने का नाम ही नही ले रहा। मानो कब के बिछड़े हुए थे और अब मिलने को मौका मिला है। दिल्ली सरकार को कोरोना महामारी में हुए राजस्व घाटा को संतुलन में लाने के लिए शराब के ठेके को खोलना मज़बूरी हो गया, क्योंकि सरकार को सबसे ज्यादा रेवेन्यू दारू से ही मिलता है। उसके वावजूद सब कहते है कि9 शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, अगर सरकार बेचने का आदेश देगी तो सब खरीदेगा ही और  इसी शराब की बजह से कई सारी अनहोनी होती है। आप सभी सुने ही होंगे की कल एक व्यक्ति शराब खरीदने के लिए अपनी पत्नी से पैसा मांगता है, और पत्नी की विरोध करने पर गोली मार दिया, तो ये सब सामान्य सी घटनाएं हो गई है।

       शराब अगर बिकेगा ही नही तो लोग खरीदेगा भी नही। शराबी को खत्म करने से पहले शराब को खत्म करना होगा। और अगर सरकार को रेवेन्यू चाहिए तो शराब की जगह कोई दूसरा रास्ता ढूँढना होगा नही तो कई सारी घटनाएं घटित होती रहेगी। न जाने कितने लोग अपने आप को शोषण होते देखते रहेंगे। एक स्वच्छ समाज के लिए सभी तरह की मादक पदार्थों को खत्म करना होगा और राजस्व के लिए सरकार को कोई दूसरा रास्ता खोजना होगा।

अभी कोरोना महामारी की जो स्थिति है उसमें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना बहुत जरूरी है, लेकिन दिल्ली में शराब को लेने की लिए एक दूसरे से चिपक-चिपक कर लगभग एक किलोमीटर तक खड़े है, इस वक्त कहाँ गया लॉक डाउन की सख्त नियम। नियम तो सिर्फ गरीबों और लाचार लोगों पर लागू होता है, बाकि किसी और लोगों पर नहीं। न जाने क्या होने वाला है, ऊपर वाला ही जाने

टिप्पणियाँ